भारत की संस्कृति
भारत दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। भारत भौगोलिक दृष्टि से विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा देश है, जबकि जनसंख्या के दृष्टिकोण से चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर में हिमालय पर्वत तथा दक्षिण में हिन्द महासागर स्थित है। दक्षिण-पूर्व में बंगाल की खाड़ी तथा पश्चिम में अरब सागर है।
भारतीय संस्कृति विश्व के इतिहास में कई दृष्टियों से विशेष महत्त्व रखती है।
1. यह संसार की प्राचीनतम संस्कृतियों में से एक है। भारतीय संस्कृति कर्म प्रधान संस्कृति है। मोहनजोदड़ो की खुदाई के बाद से यह मिस्र, मेसोपोटेमिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं के समकालीन समझी जाने लगी है।
2. प्राचीनता के साथ इसकी दूसरी विशेषता अमरता है। चीनी संस्कृति के अतिरिक्त पुरानी दुनिया की अन्य सभी - मेसोपोटेमिया की सुमेरियन, असीरियन, बेबीलोनियन और खाल्दी प्रभृति तथा मिस्र ईरान, यूनान और रोम की-संस्कृतियाँ काल के गाल में समा चुकी हैं, कुछ ध्वंसावशेष ही उनकी गौरव-गाथा गाने के लिए बचे हैं; किन्तु भारतीय संस्कृति कई हज़ार वर्ष तक काल के क्रूर थपेड़ों को खाती हुई आज तक जीवित है।
3. उसकी तीसरी विशेषता उसका जगद्गुरु होना है। उसे इस बात का श्रेय प्राप्त है कि उसने न केवल महाद्वीप-सरीखे भारतवर्ष को सभ्यता का पाठ पढ़ाया, अपितु भारत के बाहर बड़े हिस्से की जंगली जातियों को सभ्य बनाया, साइबेरिया के सिंहल (श्रीलंका) तक और मैडीगास्कर टापू, ईरान तथा अफगानिस्तान से प्रशांत महासागर के बोर्नियो, बाली के द्वीपों तक के विशाल भू-खण्डों पर अपना अमिट प्रभाव छोड़ा।
4. सर्वांगीणता, विशालता, उदारता, प्रेम और सहिष्णुता की दृष्टि से अन्य संस्कृतियों की अपेक्षा अग्रणी स्थान रखती है।
भारतीय संस्कृति क्यों हैं विश्व की समृद्ध संस्कृति और इसकी विशेषताएं
भारतीय संस्कृति में कई अलग-अलग धर्म, समुदाय, जाति पंथ आदि के लोगों के रहने के बाद भी इसमें विविधता में एकता है। भारतीय संस्कृति के आदर्श एवं मूल्य ही इसे विश्व में एक अलग सम्मान दिलवाते है और समृद्ध बनाती है। भारतीय संस्कृति की कुछ प्रमुख विशेषताएं नीचे दी गई हैं –
भारतीय संस्कृति आज भी अपने मूल रुप-स्वरूप में जीवित है:
भारतीय संस्कृति की निरंतरता ही इसकी प्रमुख विशेषता है, विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृति होने के बाबजूद आज भी यह अपने मूल रुप में जीवित है। वहीं आधुनिकता के इस युग में आज भी कई धार्मिक परंपराएं, रीति-रिवाज, धार्मिक अनुष्ठान कई हजार सालों के बाद भी वैसे ही चले आ रहे हैं। धर्मों और वेदों में लोगों की अनूठी आस्था आज भी भारतीय संस्कृति की पहचान को बरकरार रखे हुए है।
सहनशीलता एवं सहिष्णुता:
भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी खासियत सहिष्णुता और सहनशीलता है। भारतीयों के साथ अंग्रेजी शासकों एवं आक्रमणकारियों द्वारा काफी क्रूर व्यवहार किया गया और उन पर असहनीय जुर्म ढाए गए, लेकिन भारतीयों ने देश में शांति बनाए रखने के लिए कई हमलावरों के अत्याचारों को सहन किया।
वहीं सहनशीलता का गुण भारतीयों को उसकी संस्कृति से विरासत में मिला है। वहीं कई महापुरुषों ने भी सहिष्णुता की शिक्षा दी है।
आध्यात्मिकता, भारतीय संस्कृति की मुख्य विशेषता:
भारतीय संस्कृति, का मूल आधार आध्यात्मिकता है, जो कि मूल रुप से धर्म, कर्म एवं ईश्वरीय विश्वास से जुड़ी हुई है। भारतीय संस्कृति में रह रहे अलग-अलग धर्म और जाति के लोगों को अपने परमेश्वर पर अटूट आस्था एवं विश्वास है।
भारतीय संस्कृति में कर्म करने की महत्वता:
भारतीय संस्कृति में कर्म करने पर बल दिया गया है। यहां कर्म को ही पूजा माना गया है। वहीं कर्म करने वाला पुरुष ही अपने लक्ष्यों को आसानी से हासिल कर पाता है और अपने जीवन में सफल होता है।
आपसी प्रेम एवं भाईचारा:
भारतीय संस्कृति में लोगों के अंदर एक-दूसरे के प्रति प्रेम, परोपकार, सद्भाव एवं भलाई की भावना निहित है, जो इसकी सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है।
अनेकता में एकता
भारत में अलग-अलग जाति, धर्म, लिंग, पंथ, समुदाय आदि के लोग रहते हैं, जिनके रहन-सहन, बोल-चाल एवं खान-पान में काफी विविधता है, लेकिन फिर भी सभी भारतीय आपस में मिलजुल कर प्रेम से रहते हैं, इसलिए अनेकता में एकता ही भारतीय संस्कृति की मूल पहचान है।
नैतिक एवं मानवीय मूल्यों का महत्व
भारतीय संस्कृति के तहत नैतिक एवं मानवीय मूल्यों को प्राथमिकता दी गई है। जिसमें विचार, शिष्टाचार, आदर्श, दर्शन, राजनीति, धर्म आदि शामिल हैं।
भारतीयों के संस्कार हैं इसकी विशेषता
भारतीय मूल के व्यक्ति की शिष्टता एवं अच्छे संस्कार जैसे बड़ों का आदर करना, अनुशासन में रहना, परोपकार एवं भलाई करना, जीवों के प्रति दया का भाव रखना एवं अच्छे कर्म करना ही भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी खासियत है।
शिक्षा का महत्व
भारतीय संस्कृति में शिक्षा को खास महत्व दिया गया है। यहां शिक्षित व्यक्ति को ही सम्मान दिया जाता है, जबकि अशिक्षित व्यक्ति का सही रुप से मानसिक, नैतिक एवं शारीरिक विकास नहीं होने की वजह से उसे समाज में उपेक्षित किया जाता है वहीं अशिक्षित व्यक्ति अपने जीवन में दर-दर की ठोकरें खाता है।
राष्ट्रीयता की भावना
भारतीय संस्कृति में लोगों के अंदर राष्ट्रीय एकता की भावना निहित है। राष्ट्र पर जब भी कोई संकट आया है, तब-तब भारतीयों ने एक होकर इसके खिलाफ लड़ाई लड़ी है।
अतिथियों का सम्मान
भारतीय संस्कृति में अतिथियों को भगवान का रुप माना गया है। हमारे देश में आने वाले मेहमानों का खास तरीके से स्वागत कर उनको सम्मान दिया जाता है। वहीं अगर कोई दुश्मन भी मेहमान बनकर आता है तो उसका स्वागत सत्कार करना प्रत्येक भारतीय अपना फर्ज समझता है।
गुरुओं का विशिष्ट स्थान
भारतीय संस्कृति में प्राचीन समय से ही गुरुओं को भगवान से भी बढ़कर दर्जा दिया गया है, क्योंकि गुरु ही मनुष्य को सही कर्तव्यपथ पर चलने के योग्य बनाता है और उसे समस्त संसार का बोध करवाता है।
अनेकता में एकता’ सिर्फ कुछ शब्द नहीं हैं, बल्कि यह एक ऐसी चीज़ है जो भारत जैसे सांस्कृतिक और विरासत में समृद्ध देश पर पूरी तरह लागू होती है। कुछ आदर्श वाक्य या बयान, भारत के उस दर्जे को बयां नहीं कर सकते जो उसने विश्व के नक्शे पर अपनी रंगारंग और अनूठी संस्कृति से पाया है। मौर्य, चोल और मुगल काल और ब्रिटिश साम्राज्य के समय तक भारत हमेशा से अपनी परंपरा और आतिथ्य के लिए मशहूर रहा। रिश्तों में गर्माहट और उत्सवों में जोश के कारण यह देश विश्व में हमेशा अलग ही नजर आया। इस देश की उदारता और जिंदादिली ने बड़ी संख्या में सैलानियों को इस जीवंत संस्कृति की ओर आकर्षित किया, जिसमें धर्मों, त्यौहारों, खाने, कला, शिल्प, नृत्य, संगीत और कई चीजों का मेल है। ‘देवताओं की इस धरती’ में संस्कृति, रिवाज़ और परंपरा से लेकर बहुत कुछ खास रहा है।